Shabaash Mithu: भारत में महिला क्रिकेट को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने में भारत की महान बल्लेबाज मिताली राज का महत्वपूर्ण योगदान रहा ह। इन दिनों मिताली राज पर एक बायोपिक बन रही है। जिसका नाम है शाबाश मिट्ठू (Shabaash Mithu)। अपने इस बायोपिक को लेकर मिताली राज चर्चा का विषय बना रही है।
मिताली राज की बायोपिक शाबाश मिठू (Shabaash Mithu) का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है। इस फिल्म में मिताली राज का किरदार अभिनेत्री तापसी पन्नू अदा कर रही हैं। इस तरह अब सब मिताली राज की जिंदगी को बड़े पर्दे पर देखेंगे।
क्रिकेट पर एक ऐसा खेल है जिसका जूनून भारत के कोने कोने में देखने को मिलता है। देशभर में क्रिकेट की दीवानगी देखना काफी दिलचस्प है। यह दीवानगी केवल पुरुषों में ही नही बल्कि महिलाओं में भी देखने को मिलती है। महिला क्रिकेट के प्रति दीवानगी 1990 के दशक तक नही देखी जाती थी।
लेकिन वर्तमान समय में महिला क्रिकेट का परिदृश्य काफी बदल चुका है। महिला क्रिकेट को पहचान मिल चुकी है। भारत मे महिला क्रिकेट को पहचान दिलाने का श्रेय “लेडी सचिन तेंदुलकर” नाम से मशहूर मिताली राज जाता है। उन्होंने पुरुष वर्चस्व वाले खेल क्रिकेट को महिलाओं के बीच पहचान दिलाई।
हमारे भारतीय समाज में सामाजिक ढांचा कुछ इस तरह से है कि महिलाओं को काफी विरोध और अड़चनों का सामना करना पड़ता है। मिताली राज को भी क्रिकेट खेलने के लिए घर से लेकर क्रिकेट के मैदान तक कई तरह के विरोध और अड़चनों का सामना करना पड़ा। आइए जानते हैं मिताली राज के संघर्ष के बारे में:
Shabaash Mithu: भाई के साथ शुरू की थी प्रैक्टिस
महिलाओं को टीचिंग और बैंकिंग जैसे क्षेत्र मे कैरियर बनाने का सुझाव दिया जाता है। लेकिन जब मिताली राज ने हाथ में बल्ला थामा तो उनके विश्वास को तोड़ने के लिए बहुत सारे लोग आये। हालांकि मिताली राज को उनके माता पिता का सपोर्ट रहा और वह समाज से नही डरी बल्कि डटकर सामना। आज उन्होंने महिला क्रिकेट की दुनिया में इतिहास रच दिया है।
आज मिताली राज के नाम से हर कोई वाकिफ है। मिताली राज पर बन रही बायोपिक फिल्म (Shabaash Mithu Trailer) के ट्रेलर में दिखाया गया है कि मिताली राज के किरदार में तापसी पन्नू कहती हैं “8 साल की थी जब किसी ने यह सपना दिखाया कि मैन इन ब्लू की तरह हमारी भी एक टीम होगी वूमेन इन ब्लू”।
मिताली राज कहती हैं कि जब वह अपने भाई मिथुन के कोच से मिली तो उनकी प्रतिभा के बारे में उनके कोच ने कहा “इसमें टैलेंट नेचुरल है, अगर प्रॉपर ट्रेनिंग हो गई तो नेशनल खेलने के चांस है”। पहले तो मिताली राज के परिवार ने समझा कि कोच द्वारा की गई है तारीफ उनके बेटे मिथुन के लिए है। लेकिन कोच ने कहा नही मैं मिथुन की बात नहीं मैं मितौली की बात कर रहा हूं। इस बात को सुनकर उनके पूरे परिवार का चेहरा एक पल के लिए उतर गया था।
बचपन में कत्थक में थे रुचि –
मिताली राज एक तमिल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनका जन्म 10 दिसंबर 1982 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ था। मिताली राज के पिता दोराज राज वायुसेना में एक अधिकारी हैं। मिताली राज को बचपन से कत्थक में रूचि थी। लेकिन कोच की तारीफ़ के बाद उनके माता-पिता ने मिताली राज को भाई के साथ क्रिकेट की प्रैक्टिस करने के लिए भेजना शुरू कर दिया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मिताली राज के माता-पिता उन्हें भाई के साथ क्रिकेट खेलने के लिए इसलिए भेजना शुरू किया था क्योंकि वह देर तक सोती थी। लेकिन क्रिकेट खेलने के लिए अपने भाई के साथ सुबह जाने लगी। मिताली राज के भाई मिथुन क्रिकेट सीखते थे। तब उनके कोच ज्योति प्रसाद अक्सर खाली समय में छोटी मिताली को क्रिकेट खेलना सिखाया करते थे। उन्होंने ही बचपन में मिताली राज के क्रिकेट खेलने की प्रतिभा को पहचाना और उनके माता-पिता को सलाह दी कि मिताली राज को क्रिकेट खेलने दिया जाए।
कोच की देखरेख में मिताली राज ने महज 6 साल की उम्र से क्रिकेट का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। इसके बाद नए कोच संपत कुमार के पास मिताली राज (Shabaash Mithu) को ले जाया गया। इसी के साथ मिताली राज की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया। शुरुआत में मिताली राज के दादा दादी को उनका क्रिकेट खेलना बिल्कुल पसंद नहीं था। उन्हें अच्छा नहीं लगता था कि लड़की खेले। लेकिन मिताली राज को उनके माता-पिता को पूरा सपोर्ट था।
17 साल की उम्र में शुरू किया क्रिकेट खेलना –
मिताली राज जब महज 17 साल की थी तब उन्होंने भारत के लिए क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। इस तरह मिताली राज का क्रिकेट करियर शुरू हो गया। उन्होंने वनडे में आयरलैंड के खिलाफ चंद्रकला कॉल की कप्तानी में शतक जमाकर अपनी टीम को 161 रन से जीत दिलाई थी। बता दें कि जिस वक्त मिताली राज को भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए चुना गया था उस समय महिला खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिला करती थी। मिताली राज पुरुषों के साथ नेट पर अभ्यास करती थी।
इस दौरान महिला क्रिकेट बीसीसीआई के अंतर्गत शामिल नहीं किया जाता था। मिताली राज (Shabaash Mithu) भारत के लिए खेलना तो शुरू कर दिया था लेकिन तब मे सुविधाएं मिल रही थी न ही सम्मान मिल रहा था। कई बार बिना रिजर्वेशन के भी उन्हें ट्रेन में सफर करना पड़ता था।
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मिताली राज ने अपने करियर की शुरुआत के दिनों में काफी संघर्ष किया। लेकिन इस संघर्ष ने उन्हें मानसिक तौर पर बहुत मजबूत बना दिया। इससे सीखते हुए मिताली राज ने जिंदगी की कठिनाइयों का सामना करना सीख लिया। मिताली राज की बायोपिक के ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे उन्हें क्रिकेट के मैदान पर संघर्ष करना पड़ा? मिताली राज के किरदार में तापसी पन्नू चैनल में कहती नजर आ रही हैं “हमारी बहुत बेसिक नीड्स है हमारे अपने नाम के कपड़े”। जब उनके सामने महिला क्रिकेट का मजाक बनाया गया तो उन्होंने ठाना कि ऐसी पहचान बनानी है कि कोई भूल न पाए और मिताली राज ने अपने क्रिकेट के खेल के दम पर इसे सच करके दिखाया है।
हाल ही में लिया संन्यास
भारत की एक पूरी पीढ़ी की लड़कियों को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करने वाली मिताली राज ने 8 जून 2022 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया है। यह एक संयोग की बात है कि 39 वर्षीय मिताली राज ने अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर का आगाज 26 जून 1999 को किया था और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अलविदा भी उन्होंने 8 जून 2022 को लिया।
मिताली राज (Shabaash Mithu) ने अपने कैरियर का अंतिम क्रिकेट मैच 27 मार्च 2022 को आईसीसी वनडे महिला विश्व कप में खेला। इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बतौर कप्तान भारतीय महिला क्रिकेट की जिम्मेदारी संभाली थी। इस मैच में मिताली राज ने 68 रन की शानदार पारी खेलते हुए अर्धशतक जड़ा था। मिताली राज ने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट टेस्ट, वनडे और टी-20 को मिलाकर 10868 रन बनाए हैं, जिसमें 8 शतक शामिल हैं। मिताली राज बेहतरीन बल्लेबाज होने के साथ-साथ बेहतरीन फील्डर भी हैं।
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