4 facts about Dev Anand that you must know-
बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना अक्सर ‘ इज्जते शोहरतें उल्फ़ते, कोई चीज दुनिया में रहती नही है और आज हैं जहां कल कोई और था ये भी एक दौर है और वो भी एक दौर था’ इन पंक्तियों को सुनाया करता थे।
फ़िल्म इंडस्ट्री में हर बडे नायक का अपना दौर रह चुका है। अपने जमाने में उनकी काफी तारीफे हुआ करती थी परंतु समय बदला और उनके हालात बदल गए। राजेश खन्ना से लेकर दिलीप कुमार तक ऐसे बड़े-बड़े उदाहरण मौजूद है।
परंतु मायानगरी में एक ऐसे प्रसिद्ध अभिनेता भी रहे चुके,उनका नाम है देव आनंद जो अपने समय में काफी मशहूर
हुआ करते थे।
हिंदी सिनेमा में करीब करीब 6 दशक तक अपनी कलाकारी,अदाकारी और रुमानियत का जादू बिखेरने वाले सदाबहार अभिनेता देव आनंद का जन्म 26 सितम्बर 1923 को पंजाब के गुरुदासपुर में एक मध्यम वर्ग के परिवार में हुआ था। देव आनंद का असली नाम धर्मदेव पिशोरीमल अनांद था। वर्ष 1942 में लाहौर में अंग्रेजी साहित्य से स्नातक कर लेने के बाद आनंद देव आगे भी पढ़ने का मन बना चुके थे, परंतु पिता के आर्थिक समस्या के कारण उनकी पढ़ाई छूट गई।
वर्ष 1943 में देव आनंद जब अपने सपनो को पूरा करने के लिए मुंबई पहुचे तो उनके पास सिर्फ 30 रुपए ही थे। रहने के लिए उनके पास घर भी नही था। परन्तु देव आनंद ने कठिन संघर्ष के बाद अपना मुकाम हासिल किया उन्होंने अपने आपको फ़िल्म इंडस्ट्री में मजबूती से स्थापित किया।
सदाबहार अभिनेता देव आनंद की जिंदगी की 4 बातें जो आपको जरूर जानना चाहिए-
1. असफलता में भी हिम्मत ना हारना-
देव आनंद का ये गीत ‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुंए में उड़ाता चला गया’ ये गीत देव आनंद के जीवन को सबसे अच्छी तरह से परिभाषित करता रहता है।
देव आनंद ने अपनी जिंदगी में कभी भी असफलता को स्वीकार नही किया वो मुश्किल वक्त में भी असफलता का सामना करते रहे। अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह ईमानदारी के साथ खड़े रहे। वो जितनी बार असफल हुए थे उससे कई बार कोशिश भी की थी। और उन्हें कामयाबी भी मिली।
देव आनंद ने लगभग 19 फिल्मे डायरेक्ट और 31 फिल्मे प्रोड्यूस किया था, इनमे से अधिकतर फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं कर पाई। फिल्मों की असफलता के बाद भी देव आनंद ने हार नही मानी उहोने बार-बार सीख लिया और इसी कारण से वो अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव तक वो भारतीय सिनेमा के लिए अपना योगदान देते रहे।
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2. आजाद ‘मत’ वाले-
देव आनंद हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े स्टाइल आइकन थे वो आजाद भारत के पहले सुपर स्टार थे उन्होंने अपने विचारों और जीवन जीने के तरीके में बेहद स्वतंत्रत और निडर रहा करते थे।
भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा जब देश में आपातकाल लगाया गया था तो वो फ़िल्म इंडस्ट्री के पहले आदमी थे जिन्होंने इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी। इन्होंने समाज और देश के लिए सिनेमा छोड़कर कुछ समय तक सियासत में भी चले गए थे। 1977 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय पार्टी नामक एक पार्टी भी बनाई।
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3. महिलाओं को सम्मान –
देव आनंद को बॉलीवुड का असली रोमांटिक हीरो कहा जाता है देव आनंद सिर्फ पर्दे पर ही नहीं बल्कि वास्तविक जिंदगी में भी देव आनंद की दिल्लगी का कोई जवाब नहीं था।
अपनी फ़िल्म की अभिनेत्रियों के साथ अपने रोमांस को लेकर वो खूब चर्चा में रहे। वो चाहे सुरैया हो या फिर जीनत अमान दोनो के साथ ही उनके प्रेम के चर्चे हुए थे।
देव आनंद खुद मानते है की सुरैया मेरी पहली प्रेमी थी, जीनत को भी वो पसंद करते थे। देव आनंद ने हमेशा ही सभी महिलाओं का सम्मान किया और उनके साथ काम करने वाली महिला खुद को पूरी तरह सुरक्षित महसूस किया करती थी।
4. जमीन से उठे सितारे-
वर्ष 1943 में देव आनंद जब अपने सपनो को पूरा करने के लिए मुंबई पहुचे तो उनके पास सिर्फ 30 रुपए ही थे। रहने के लिए उनके पास घर भी नही था। परन्तु देव आनंद ने कठिन संघर्ष के बाद अपना मुकाम हासिल किया उन्होंने अपने आपको फ़िल्म इंडस्ट्री में मजबूती से स्थापित किया।
देव आनंद अपने समय के मशहूर अभिनेता होने के साथ ही एक सफल फ़िल्म निर्माता भी रहे। उन्होंने आखिरी उम्र तक फिल्मों में काम किया। सभी लोग देव आनंद के दीवाने थे, उनका स्टाइल,हेयर स्टाइल,सेंस और ड्रेसिंग लोग कॉपी किया करते थे। उनकी बाते लोगो को मोह लिया करती थी।
उन्होंने हमेशा ही बड़ो का सम्मान किया और हर एक व्यक्ति के लिए दरवाजा खुला रखते थे।